डूबने दे

सतह पर सब कुछ

धुंधला है

तह पर पहले

उतरने दे

अभी डूब रहा हूं

डूबने दे

…………..

आंखें मूंद कर

देखूं तुझको

वह अंतर्यात्रा करने दे

अभी डूब रहा हूं

डूबने दे

…………..

थाह अथाह की लेने दे

राम प्यास को बुझने दे

बूंद-बूंद में राम बसे हैं

रगो में उसे उतरने दे

अभी डूब रहा हूं

डूबने दे

…………..

राम रंग है

चढ़ा बदन पर

ह्रदय में उसे पसरने दे

रग में राम

बहते हैं कैसे

इसको जरा महसूसने दे

अभी डूब रहा हूं

डूबने दे

…………..

डूब गया हूं आकंठ राम में

अब मुझको नहीं उबरना है

समझ गया हूं माया तेरी

डूबना ही जग में उबरना है

डूबते रहना है बस मुझको

तह तक नहीं पहुंचना है….

डूब रहा हूं प्रभू मैं तुझमे

मुझको बस

अब डूबने दे…

…………………………………….

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