नज़रों की छुअन

बादल पूछते नहीं, हवाओं से पता अपना

पहुंच जाते हैं, जिस ठौर भी बरसना होता है

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हालात बदल देते हैं सीरत सूरत की

नजरें बेपरवाह भी इशारा समझ लेती है

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जुबां लाख सिल ले वादों से कोई 

नज़रों की छुअन सब बोल देती है

……

जिन्हें हुनर है ज़ज्बातों को समझने का

किश्ती तुफान में भी वह कंधा ढूंढ़ लेती है

……

मतलब, हाथ थामने का हो पता जिसे

दिल दे दीजिए उसे, तजुर्बा कहता है

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