यमुना के जल में
रंग नहीं डारो सखी…
डूबना नहीं है मुझे
रंगना है होरी सखी…
रंग, रंग डारो सखी
ऐसे नहीं टालो सखी
रंग नहीं घोरना मुझे
रंग में है घुलना सखी
तन से लिपटि मुझे
मन में है उतरना सखी
घुल जाऊँ जब मैं
रंग में तेरे सखी
उँडेल देना शाम के
सर पै मुझे सखी
लट से लिपटि
चरणों में गिरू सखी
अंग-अंग लग कर
शाम रंग होउ सखी
यमुना के रंग में
रंग मत डालो सखी।